SAMAYIK SADHAK

SAMAYIK SADHAK

''सामायिक हर शनिवार सायं 7 से 8 के मध्य शुरु और संपन्न हो जानी चाहिए। शनिवार सामायिक में हमें तेरापंथ प्रबोध सीखने, पढ़ने का लक्ष्य रखना चाहिए''

(मर्यादा महोत्सव 2016 में आचार्य श्री महाश्रमणजी द्वारा दिया गया पावन संदेश)

सामायिक के लाभ

  • आत्म चिंतन का उत्तम साधन है।
  • चित्त की एकाग्रता बढ़ती है।
  • तनाव से मुक्ति एवं पूर्ण शांति मिलती है।
  • आध्यात्मिक क्रिया की ओर रुझान बढ़ता है।
  • हिंसा, असत्य, संग्रह इत्यादि से दूर रहा जा सकता है।
  • विघ्न कारकों को दूर किया जा सकता है।

सामायिक का अर्थ

संतुलन ही सामायिक है। अध्यातम का पहला सोपन है - सामायिक। कहते हैं कि साधना के क्षेत्र में सर्वाधिक मूल्य किसी का है तो वो है "समता" और "समता की साधना" का उत्तम मार्ग सामायिक है सम + आयिक = सामायिक यानि जहां समता का आय हो, समता का लाभ हो।

National In-Charge

Rakesh Dak

National Sub-In-Charge

Dipak Shrimal