तेरापंथ समाज में जैन दर्शन, तेरापंथ दर्शन, तत्व ज्ञान में रूचि बढ़ाने हेतु अभातेयुप एवं समण संस्कृति संकाय (जैन विश्व भारती) की संयुक्त आयोजना में प्रतिवर्ष ‘सम्यक दर्शन कार्यशाला’ का आयोजन संपूर्ण भारत में शाखा परिषदों के माध्यम से किया जाता है। पूज्य गुरुदेव के इंगित के अनुसार प्रतिवर्ष एक चयनित पुस्तक पर आधारित कार्यशाला होती है।
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हम जिस संस्कृति से संबद्ध होते है वह हमारी पालक होती है, अतः ऐसी संस्कृति के नजदीक रहना और उसके सिद्धांतों का पालन और अवधारणाओं की जानकारी ग्रहण करना , यह लक्ष्य हर श्रावक का होना चाहिए। स्वाध्याय इस लक्ष्य आपूर्ति का उत्कृष्ट मार्ग है और मंजिल प्राप्ति हेतु विशिष्ट श्रम नियोजन आवश्यक है। जैन संस्कृति के साहित्यों का स्वाध्याय करना स्वयं की योग्यता को तो बढ़ाता ही है साथ साथ यह जैन संस्कृति की अवधारणा को जीवंत रखने का सार्थक प्रयास है और जिन शासन की सेवा भी। संपूर्ण श्रावक समाज इससे जुड़े यह लक्ष्य है। सम्यक दर्शन कार्यशाला एक माध्यम है जिससे हम जैन संस्कृति के दर्शन , तत्वज्ञान और साहित्यिक क्षेत्र में अपनी अर्हताओं को बढ़ा सकते हैं। सार रूप में कहूं तो सम्यक दर्शन कार्यशाला जैन अवधारणा को जीवंत और प्रवर्धमान रखने का सक्षम प्रयास है। इसकी अकंप लौ निरंतर जलती रहे, शुभकामना।
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