Jain Sanskar Vidhi
जैन संस्कार विधि

तेरापंथ धर्मसंघ के नवमाधिशास्ता महान क्रांतिकारी आचार्यश्री तुलसी के लौकिक आयोजनों में प्रदर्शन व आडम्बर से दूर रहकर भौतिकता के सीमाकरण और जैन संस्कृति के स्वीकरण के उद्देश्य से स्फुरित सद्चिंतन का फलित है-‘जैन संस्कार विधि’। विभिन्न पर्व-त्यौंहार व सामाजिक कार्यों आदि में हमारे संस्कारों एवं संस्कृति की सुरक्षा की दृष्टि से अभातेयुप द्वारा यह आयाम चलाया जा रहा है। आचार्यश्री तुलसी के शब्दों में जैन संस्कार विधि अल्प परिग्रह की दिशा में ले जाने का सार्थक प्रयास है। अभातेयुप ने जैन संस्कार विधि से अलग-अलग पर्व-त्यौंहार व सामाजिक कार्य संपादित करवाने हेतु पूरी रूपरेखा एवं प्रारूप निर्धारित कर रखा है। अभातेयुप जैन संस्कारक भेजकर निर्धारित विधि के अनुसार कार्यक्रम संपादित करवाती है।


Blessings
आशीर्वाद

प्रायः सभी लोग चाहते हैं कि जीवन हल्का हो, किन्तु कठिनाई यह है कि वे उसकी प्रक्रिया को नहीं अपनाते। प्रक्रिया को अपनाये बिना केवल कथन मात्र से जीवन हल्का हो जाये इसका अर्थ यह होगा कि बिना परिश्रम के ही मनुष्य को सब कुछ प्राप्त हो सकता है। पर वह न भूयं न भविस्सई न कभी हुआ है न कभी होगा। यदि वैसा प्रयोग किया जाए तो मेरे विचार में निश्चित ही जीवन हल्का हो सकता है। जहाँ जीवन है वहाँ अनेक प्रकार की स्थितियों में से गुजरना पड़ता है तथा अनेक प्रकार के संस्कारों से संस्कारित होना पड़ता है। उनमें परिष्कार की अपेक्षा है। मैं सोचता हूं कि जैन संस्कार विधि का प्रारम्भ इसी उद्देश्य से किया गया है। यह किसी के प्रति प्रतिक्रिया का रूप न होकर मात्र अपने आपको अल्पारंभ और अल्प परिग्रह की दिशा में ले जाने का प्रयत्न होगा तो निश्चित ही जीवन के लिए एक दिशादर्शन बन सकेगा।
 

Aayam Core Team
आयाम कोर टीम

मनीष कुमार मालू

राष्ट्रीय प्रभारी

विकास बांठिया

राष्ट्रीय सह प्रभारी

राहुल चेतन बरड़िया

राष्ट्रीय सह प्रभारी

अरुण गर्ग

राष्ट्रीय सह प्रभारी

युगप्रधान गणाधिपति श्री तुलसी एक समर्थ आचार्य थे। उन्होंने अपने शिष्य समुदाय को सक्षम बनाया है, वर्चस्वी बनाया है। संग-संग श्रावक समाज को भी उन्होंने सुदृढ़ बनाया है। धर्म और अध्यात्म की अनेक विधाओं में उन्होंने पारंगत किया है। तेरापंथ का आगम साहित्य हो, योग साहित्य हो या और अन्य कोई भी साहित्य हो आज अतुलनीय माना जा रहा है। आचार्य श्री तुलसी भविष्य के संकल्पद्रष्टा थे और उनका आशीर्वचन रूप वाक्य था "शुभ भविष्य है सामने !” उस शुभ भविष्य की कामना हेतु समय-समय पर उन्होंने नव चिंतन कर, नव आरोहण स्तंभ समाज में स्थापित किए, उस आधार स्तंभ में से एक आधार स्तंभ है जैन संस्कार विधि। जैन संस्कार विधि जो एक छोटा सा बीज रूप था, आज मानो कल्पवृक्ष के समान विराटकाय हो गया है।

Team Members
टीम के सदस्य


विनित कुमार लुणिया

राज्य सहयोगी


पंकज जैन

राज्य सहयोगी


अभिजीत नोरतमल बैंगाणी

राज्य सहयोगी


मनोज अन्नराज संकलेचा

राज्य सहयोगी

Upcoming Events
आगामी कार्यक्रम

Destination Wedding

Destination Wedding for sakal Jain samaj
Date: 19/04/2025 - 20/04/2025
Time: 09:00 AM
Venue: Udaipur
GALLERY

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अंतिम संस्कार विधि

अनशन (संथारा) विधि

गृह प्रवेश संस्कार

चारित्रात्माओं का प्रयाण

Remarks
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