Tapoyagya

तेरापंथ समाज के युवकों एवं किशोरों में त्याग की चेतना के जागरण हेतु अभातेयुप द्वारा ‘तपोयज्ञ’ के नाम से एक आयाम चलाया जा रहा है। यह तपस्या का महायज्ञ है। तपस्या के द्वारा आत्मा निर्मल बनती है। दृढ़ संकल्प शक्ति तथा संयम की साधना से तप के क्षेत्र में आगे बढ़ा जा सकता है। इस प्रकार युवाओं और किशोरों में एक तप के वातावरण का निर्माण इस आयाम के द्वारा होता है।


Aayam Core Team

Jitesh Pokharna

Convenor

Amit Kankariya

Co-convenor

सादर जय जिनेंद्र,

युद्ध भूमि योद्धा तपे, सूर्य तपे आकाश,
तपसी अंतर में तपे, करे कर्मों का नाश।

बहुत गहन बात लेकिन बहुत सरल है।
जप एवं तप के द्वारा आत्मा की शुद्धि होती है। 

दृढ़ मनोबल रखने से हर कार्य सरल और सुगम हो जाता है। ठीक इसी प्रकार तपस्या वह भी अपनी स्वेच्छा से और स्वशक्ति से हो सकती है। तपस्या निर्मलता को प्रदान करने वाली होती है। अनाहार की तपस्या कर सके तो उत्तम यदि ना हो तो अनेक विकल्प है। छोटे-छोटे व्रत जो आराम से हो जाते है। जैसे-कोई भी त्याग भी तप है। जमीकंद का त्याग , गुरु इंगित 6 जमीकंद त्याग कर सके या कम से कम 1 जमीकंद का त्याग भी तप है। जप के क्रम में-त्याग -तपस्या के साथ नवकार महामंत्र या ॐ भिक्षु जय भिक्षु जप द्वारा कर्म निर्जरा भी की जा सकती है। तपोयज्ञ के अंतर्गत युवासाथियो से आह्वान की त्याग-तपस्या एवं जप से जुड़कर अपनी कर्मो की निर्जरा अवश्य करे।प्रयास करने में क्या हर्ज है, कोशिश में कमी ना रहे। 
 

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