Tapoyagya

युवकों एवं किशोरों में जैनत्व और आध्यात्म के संस्कार पुष्ट करने हेतु अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद द्वारा अभियान चलाया जा रहा है, तपस्या का महायज्ञ-पोयज्ञ कर्म निर्जरा के इस क्रम में जप, त्याग, पचश्वाण एवं पौषध के विविध कार्यक्रम परिषदों के माध्यम से किये जा रहे हैं। अधिक जानकारी के लिए प्रभारी एवं सहप्रभारी से संपर्क करें। त्याग जैन धर्म का आधार है और गुरुदेव का प्रिय विषय है। साथियों, तपोवन के अंतर्गत प्रत्येक गुरुवार अपनी धारणानुसार जमीकंद त्याग या संपूर्ण जमीकंद त्याग का संकल्प लें (निर्धारित जमीकंद आलू, प्याज, लहसुन, शकरकंद, गाजर, मूली इत्यादि)। सभी अभातेयुप साथी एवं समस्त शाखा परिषदें प्रत्येक गुरुवार जमीकंद त्याग में सहभागी बने। त्यागी गुरुवार में जून माह तक 1206 साथियों ने अपनी सहभागिता दर्ज कराई।


Aayam Core Team

Jitesh Pokharna

Convenor

Amit Kankariya

Co-convenor

सादर जय जिनेंद्र,

युद्ध भूमि योद्धा तपे, सूर्य तपे आकाश,
तपसी अंतर में तपे, करे कर्मों का नाश।

बहुत गहन बात लेकिन बहुत सरल है।
जप एवं तप के द्वारा आत्मा की शुद्धि होती है। 

दृढ़ मनोबल रखने से हर कार्य सरल और सुगम हो जाता है। ठीक इसी प्रकार तपस्या वह भी अपनी स्वेच्छा से और स्वशक्ति से हो सकती है। तपस्या निर्मलता को प्रदान करने वाली होती है। अनाहार की तपस्या कर सके तो उत्तम यदि ना हो तो अनेक विकल्प है। छोटे-छोटे व्रत जो आराम से हो जाते है। जैसे-कोई भी त्याग भी तप है। जमीकंद का त्याग , गुरु इंगित 6 जमीकंद त्याग कर सके या कम से कम 1 जमीकंद का त्याग भी तप है। जप के क्रम में-त्याग -तपस्या के साथ नवकार महामंत्र या ॐ भिक्षु जय भिक्षु जप द्वारा कर्म निर्जरा भी की जा सकती है। तपोयज्ञ के अंतर्गत युवासाथियो से आह्वान की त्याग-तपस्या एवं जप से जुड़कर अपनी कर्मो की निर्जरा अवश्य करे।प्रयास करने में क्या हर्ज है, कोशिश में कमी ना रहे। 
 

}

Subscribe To Our Newsletter

Join The Newsletter To Receive The Latest Updates In Your Inbox

Remarks