मंत्र दीक्षा का अर्थ है कि जब तुम समर्पण करते हो तो गुरु तुममें प्रवेश कर जाता है, वह तुम्हारे शरीर, मन और आत्मा में प्रविष्ट हो जाता है। गुरु तुम्हारे अंतस में जाकर तुम्हारे अनुकूल ध्वनि की खोज करेगा, वह तुम्हारा मंत्र होगा और जब तुम उसका उच्चारण करोगे तो तुम एक भिन्न आयाम में एक भिन्न व्यक्ति होगे।जब तक समर्पण नहीं होता मंत्र नहीं दिया जा सकता है। मंत्र देने का अर्थ है कि गुरु ने तुममें प्रवेश किया है, गुरु ने तुम्हारी गहरी लयबद्धता को तुम्हारे प्राणों के संगीत को अनुभव किया है। फिर वह तुम्हें प्रतीक रूप में एक मंत्र देता है, जो तुम्हारे अंतस के संगीत से मेल खाता हो और जब तुम उस मंत्र का उच्चार करते हो तो तुम आंतरिक संगीत के जगत में प्रवेश कर जाते हो। तब आंतरिक लयबद्धता उपलब्ध होती है।
I believe in unity of humanity. I will never instigate communal disharmony, casteism, and will live with peace with everyone. I will lead life with honesty. I will remain free from intoxication.
Convenor
Co-convenor
Mumbai Zone Coordinator
Central Zone Coordinator
South Zone Coordinator
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