पूज्यप्रवर ने युवाओं को अपनी शक्ति का नियोजन अच्छे कार्यों में करने की दी प्रेरणा
मनुष्य जन्म दुर्लभ व महत्वपूर्ण है। वर्तमान में हमें यह मिला है। इसलिए हमें ध्यान देना चाहिए कि मैं जीवन की सार्थक बना सके। धार्मिक उजति कर सकूं। बाल्यावस्था युवावस्थाद्धावस्था में वह बीच युवा अवस्था बहुत उपयोगी है। बालक में क्षमताएं नहीं होती, युद्ध में क्षमताएं कमजोर पड़ जाती हैम युवावस्था में शक्ति होती है उसका सम्यक उपयोग हो तो जीवन में बहुत कुछ उपलब्ध हो सकता है। अभातेयुप का 58 व अधिवेशन हो रहा है. इसकी इतनी शाखाएं है अनेकों गतिविधियां होती है। हजारों युवक किशोर इस संगठन से जुड़ने की वजह से कितनी गलत चीजों से बच जाते है, भटकने से बचते है। अभातेयुप धार्मिकता से जुड़ी संस्था है। व्यापार के साथ यह सेवा करते है. यह बड़ी बात है। तेजस्वीजी सूर्या युवा मोर्चा से जुड़े है। हमारे सकते की सेवा में वाहिनी का अच्छा प्रकल्प है जिससेवाओं को सेवा, गोचरी आदि की जानकारी मिलती है, संस्कार पुश होते है। तेरापंथ टाइम्स से संधीय समाचार और जानकारियां नेती है। अधिवेशन में कार्यों की समीक्षा विकास में सहायक बनती है और नए कार्यों का चिंतन होता है। संगठन में नया जोड़ना और अनावश्यक छोड़ना यह चलता रहे तो विकास का पथ प्रशस्त होता है। समीक्षात्मक चिंतन संगठन में नया उन्मेष, नया जोश आता है, नथा विकास होता है। पूज्य गुरुदेव तुलसी की दुरक्षिता का परिणाम है यह अभातेपुष रूप में धार्मिक सेना। अधानेपुप में टास्क फोर्स भी बनी हुई है। धार्मिक दृष्टि से अभातेयुप संप की सेना है। किशोर भी भावी संघसैनिक के रूप में। जुड़ते है। अभातेयुप के अचछे कार्यों में नियोजन का नक्ष्य रहे। किशोर सदस्यों में धार्मिक संस्कार पु होते रहे, अपनी शक्ति का अच्छे कार्यों में नियोजन का लक्ष्य रहे।