मुमुक्षु मीनाक्षी संसुका की शोभा यात्रा एवं मंगल भावना समारोह आयोजित।
तेरापंथी सभा गंगाशहर द्वारा मुमुक्षु मीनाक्षी सामसुखा का मंगलभावना समारोह साध्वी श्री चरितार्थ प्रभा जी एवं साध्वी श्री प्रांजल प्रभा जी के सान्निध्य में शांतिनिकेतन गंगाशहर में आयोजित किया गया। गंगाशहर निवासी दीपचंद जी सामसुखा की सुपुत्री मुमुक्षु मीनाक्षी सामसुखा की जैन भागवत दीक्षा युगप्रधान आचार्य महाश्रमण जी के पावन सान्निध्य में 19 जुलाई 2024 को सूरत में होगी।
इस अवसर साध्वी श्री चरितार्थ प्रभा जी ने अपना पावन उद्बोधन देते हुए कहा कि हमारे पास दो तरह के जीवन जीने के विकल्प होते हैं। सच्चा आनंद एवं सच्चा सुख पाना है तो हमें भोग को छोड़कर त्यागमय जीवन जीना होगा। भगवान महावीर और सेठ शालिभद्र का उदाहरण देते हुए कहा कि अपार सुख को त्याग कर वे संयम पथ पर आगे बढ़े। धर्म संयम में है, स्वच्छंदता में नहीं। संयम का स्वागत दुनिया के तमाम शास्त्र करते हैं। मीनाक्षी ने संयम का मार्ग अपनाया है, जो आत्मा के कल्याण का सबसे बड़ा साधन है। संयममय जीवन ही मुक्ति का मार्ग है।
मुमुक्षु मीनाक्षी को प्रेरणा प्रदान करते हुए साध्वी श्री जी ने कहा कि साधु जीवन में ज्ञान दर्शन चरित्र और तप की साधना के पथ पर आगे बढ़कर अपने जीवन को पवित्र बनाना है। धर्म की आराधना के लिए मनुष्य जीवन ही सर्वोपरि है। समाज से कहा कि अपनी भावी पीढ़ी में धर्म के संस्कार भरे ताकि बच्चे अपना भविष्य का निर्माण सही तरीके से कर सके। साध्वी श्री प्रांजल प्रभा जी ने कहा कि मुमुक्षु मीनाक्षी ने जीवन की सच्चाई को समझकर भोग विलास सुख दुख को त्याग कर पंच महाव्रत के राजमार्ग पर प्रस्थान किया है ,जो अनुकरणीय है। तुम जिस निष्ठा, आस्था, श्रद्धा, से घर से विदाई ले रही हो वह भावना आप हमेशा बनाए रखें । साधु जीवन साधना का जीवन है। उसमें बल से कुछ भी नहीं होता। साधना हृदय की पूर्ण स्वतंत्रता से ही हो सकती है।
साध्वी श्री स्वास्थ्य प्रभा जी ने कहा कि आप गुरु आज्ञा में रहकर अपने जीवन को चमकाना। हम तुम्हें विदाई नहीं बल्कि बधाई देते हैं। साध्वी श्री प्रभा श्री जी ने आत्म साधना में तल्लीन रहने की प्रेरणा दी।
मुमुक्षु मीनाक्षी सामसुखा ने कहा कि बाहरी भोग विलास सब क्षणिक है। भीतरी शांति हमें अध्यात्म पथ पर आगे बढ़ने से ही मिलती है। उन्होंने अपने वैराग्य को पुष्ट करने वाले सभी सहयोगियों को याद किया तथा कृतज्ञता व्यक्त की। समाज एवं परिवार से खमत-खामणा किया।
महिला मंडल की अध्यक्ष संजू लालाणी एवं पूरी टीम ने गीतिका के माध्यम से मंगल भावना व्यक्त की। कन्या मंडल संयोजिका प्रिया संचेती , तेरापंथ युवक परिषद के उपाध्यक्ष ललित राखेचा, अणुव्रत समिति के उपाध्यक्ष मनोज सेठिया, आचार्य श्री तुलसी शांति प्रतिष्ठान के उपाध्यक्ष किशन बैद, तेरापंथी महासभा के संरक्षक व गंगाशहर तेरापंथ न्यास के ट्रस्टी जैन लूणकरण छाजेड़, तेरापंथ सभा के अध्यक्ष जतन लाल छाजेड़ ने अपने विचार व्यक्त किए।
सामसुखा परिवार से अरविंद छाजेड़ , प्रियंका छाजेड़, राजेंद्र सामसुखा, शकुंतला डागा ,राजेश डागा ने अपने विचार रखें। सामसुखा परिवार की बहनों ने गीतिका, कविताएं व मुक्तक के माध्यम से दीक्षार्थी बहन मुमुक्षु मीनाक्षी का अभिनंदन किया।तेरापंथी सभा के पुर्व अध्यक्ष अमर चन्द सोनी ने अभिनन्दन पत्र का वाचन किया एवं समाज की समस्त संस्थाओं ने स्वागत करते हुए मंगलमय संयम जीवन की कामना की।
इससे पूर्व प्रात 8:00 बजे दीक्षार्थी बहन मीनाक्षी के निज निवास से शोभा यात्रा का आयोजन हुआ, जो अणुव्रत मार्ग, सुराणा मोहल्ला, महाप्रज्ञ चौक ,गांधी चौक, मुख्य बाजार से होते हुए जैन मंदिर से महावीर चौक तेरापंथ भवन पहुंची। वहां मुनि श्री श्रेयांश कुमार जी, विमल बिहारी जी व प्रबोध मुनि से मंगल आशीर्वाद प्राप्त किया। वहां से शोभा यात्रा पुरानी लाइन होते हुए मालू गेस्ट हाउस, चोपड़ा गली होते हुए शांति निकेतन सेवा केंद्र में धर्म सभा के रूप में परिवर्तित हो गई। कार्यक्रम का कुशल संचालन सभा के मंत्री जतन लाल संचेती ने किया।